new rules buying and selling gold |
आज से सोना खरीदने का तरीका बदल चुका है क्योंकि आज से गोल्ड हॉलमार्किंग के नियम लागू हो जाएंगे। कभी Covid 19 महामारी संकट तो कभी आधी - अधूरी तैयारियों का हवाला। सरकार ने सोने की व्यापारियों को इन नियमों को लागू करने के लिए कई मोहलत दी। लेकिन यह नियम आज से लागू हो गया हैं।
अगर कोई भी ज्वेलर्स बिना हॉलमार्किंग के गोल्ड की ज्वेलरी बेचते हुए पकड़ा गया तो उसे 1 साल की जेल भी हो सकती है। साथ ही उस पर सोने के आभूषणों की 5% पेनल्टी भी लग सकती है। सरकार का यह फैसला ग्राहकों के लिए फायदेमंद साबित होगा।
गोल्ड में हॉलमार्किंग क्या होती है?
चलिए आपको बताते हैं कि सोने में यह हॉल मार्किंग क्या होती है और यह हॉलमार्किंग आपके लिए कितनी जरूरी है गोल्ड हॉल मार्किंग सोने की शुद्धता का सर्टिफिकेट होता है। जो कि सरकारी गारंटी होती है। जो कि भारत की एकमात्र एजेंसी BIS जारी करती है हॉल मार्किंग में किसी भी प्रोडक्ट को तय मापदंडो पर सर्टिफाई किया जाता है हॉल मार्किंग के बाद सभी ज्वेलर्स को 14, 18 और 22 कैरेट गोल्ड की बिक्री की इजाजत होगी। बात करें तो आज की तारीख में सिर्फ 40% ज्वेलरी ही हॉलमार्किंग वाली है। अब सोने के सिक्के हैं गहने पर हॉल मार्क के साथ BIS बीआईएस का लोगो होना जरूरी है। हॉल मार्किंग से आपको सोने की शुद्धता का पता चलेगा कि आपका सोना कितना शुद्ध है।
जानिए आम आदमी को सोना खरीदने और बेचने से क्या फायदा होगा
इससे आम आदमी को फायदा यह है कि अभी तक ज्वेलरी खरीदने पर उनको यह नहीं पता होता था कि उनका सोना कितना शुद्ध है। पहले ग्राहक के साथ कई ज्वेलर्स द्वारा ठगी की संभावना भी रहती थी। ग्राहकों को नकली ज्वेलरी से बचाने और ज्वेलर्स पर निगरानी के लिए हॉल मार्किंग जरूरी है हॉल मार्किंग का फायदा यह है कि जब आप अपना सोना बेचने जाएंगे तो आपको किसी भी मुसीबत का सामना नहीं करना पड़ेगा। deduction fees भी नहीं काटी जाएगी और आपको सोने की पूरी कीमत दी जाएगी। हॉलमार्किंग में सोना कहीं फेस से गुजरता है ऐसे में इसकी शुद्धता में कोई भी गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं होगी।
हॉलमार्किंग से सोने की कीमतों पर असर पड़ सकता है क्योंकि इससे अब ग्राहकों को सरकार द्वारा टेस्टेड ज्वेलरी ही मिलेगी इससे इसकी कीमत थोड़ी जरूर बढ़ सकती है। लेकिन इससे फायदा यह होगा कि ग्राहक को कोई भी ज्वेलर्स ठगी का शिकार नहीं बना पाएगा।
जानिए सोना खरीदने पर नए शुल्क क्या है
सरकार हॉलमार्किंग कराने पर 18% GST वसूली करेगी इससे सरकार की आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी। बता दें कि ग्राहक को हॉल मार्क की ज्वेलरी की खरीदारी करने पर ₹35 अतिरिक्त टैक्स शुल्क देना होगा और गहनों की शुद्धता की जांच के लिए न्यूनतम ₹200 और टैक्स लगेगा केंद्र सरकार नवंबर 2019 में गोल्ड ज्वेलरी और कलाकृतियों के लिए गोल्ड हॉलमार्किंग का नियम का ऐलान किया था। इन नियमों को जनवरी 2021 से लागू किया जाना था लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण ज्वेलर्स ने सरकार से मोहलत मांगी और डेटलाइन बढ़ती चली गई 1 जून तक गोल्ड हॉल मार्किंग की डेटलाइन को 4 बार बढ़ाया जा चुका था। इसके बाद इसे फिर से 15 जून तक बढ़ा दिया गया यानी अब तक की इस नियम को लागू करने के लिए 5 बार तक डेडलाइन बढ़ाई जा चुकी है।
जानिए किस कैरेट का सोना कितने % प्रतिशत शुद्ध होता है?
हालांकि अभी सराफा बाजार गोल्ड हॉल मार्किंग लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है इसका कारण है कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते देश में बीते कुछ महीनों से लॉकडाउन लगा था इस कारण कई छोटे ज्वेलर्स बीआईएस में रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाए भारत में लगभग 400000 ज्वेलर्स है जिनमें केवल 35879 ही बीआईएस सर्टिफाइड है। सोने की शुद्धता कैरेट के हिसाब से रहती है 24 कैरेट सोने को सबसे शुद्ध सोना माना जाता है लेकिन इसकी ज्वेलरी नहीं बनती क्योंकि वह बहुत मुलायम होता है आमतौर पर ज्वेलरी के लिए 22 carat जिसमें 91.66% शुद्ध सोना होता है। 18 कैरेट गोल्ड में 75% शुद्ध सोना होता है और 14 कैरेट गोल्ड में 58.50% शुद्ध सोना होता है।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में आई गिरावट के बाद आज घरेलू बाजार में सोने और वायदा बाजार में भी गिरावट आई। आपको बता दें कि गोल्ड हॉल मार्किंग के फैसले का घर में रखे सोने की ज्वेलरी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वह आप आसानी से रख सकते हो और पुरानी ज्वेलरी की बिक्री करने पर कोई भी असर नहीं होगा आप उसे आसानी से ज्वेलर्स के यहां पर बेंच सकते हैं। लेकिन ज्वेलर्स अब बिना हॉलमार्क के सोना नहीं बेंच पाएंगे खबर यह भी है कि हॉलमार्किंग के नियमों को लेकर सरकार और व्यापारियों के बीच बैठक होने वाली है हो सकता है इस बैठक में ज्वेलर्स सरकार से इस की तारीख आगे बढ़ाने की मांग करेंगे।
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