Mossad |
13 दिसंबर 1949 में आज से 73 साल पहले इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद का गठन किया गया था इस का मुख्यालय तेल अवीव, इज़राइल में स्थित है
इस एजेंसी में अनुमानित 7000 कर्मचारी कार्यरत हैंस भाषा में यह दुनिया की जासूसी करने वाली बड़ी एजेंसियों में से एक है
इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद का वार्षिक बजट अनुमानित 2.73 बिलियन अमेरिकी डॉलर हैं
मोसाद, इज़राइल की खुफिया एजेन्सी है जिसकी स्थापना खुफिया संग्रह , गुप्त आपरेशन, और आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए किया गया था।
इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद खुफिया संग्रह, गुप्त संचालन और आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए ज़िम्मेदार है। इसके डायरेक्टर सीधे और सिर्फ प्रधानमंत्री को जवाब देते हैं। यह दुनिया की सबसे बड़ी जासूसी एजेंसियों में से एक है। इसराइल के अन्य सुरक्षा निकायों जैसे इज़राइल रक्षा बल या इज़राइल सुरक्षा एजेंसी के विपरीत, इसके उद्देश्य, उद्देश्यों, भूमिकाओं, मिशनों, शक्तियों या बजट को किसी भी कानून में परिभाषित नहीं किया गया है।
आतंकवाद विरोधी इकाइयाँ
जैसा की हम सभी जानते है कि मोसाद का जन्म आतंकवाद से लड़ने के लिए किया गया था। " इस संगठन के बारे मे ज्यादा जानकारी नहीं है। इसके अधिक्तर जानकारिया गुप्त कर दी गई है। इस मे उन्ही का चुनाव होता हे जो की पहले ख़ुफ़िया विभाग काम कर चुके हो।
ऑपरेशन "रेथ ऑफ गाड"
यह मोसाद का एक गुप्त ऑपरेशन था जिसका मूल उद्देश्य म्यूनिख हत्याकांड में शामिल सारे लोगो को मारना था। मोसाद के मूल लक्ष्य आतंकवादी समूह black सितंबर और फिलीस्तीनी मुक्ति संगठन थे। इजरायल के प्रधानमंत्री गोल्डा मायर द्वारा अधिकृत ऑपरेशन "रेथ ऑफ गाड" २० साल तक चला।
म्यूनिख हत्याकांड का बदला लेने के लिए इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद में रेथ ऑफ गाड" ऑपरेशन 20 वर्षों का चलाया
जर्मनी में हुए 1972 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक आमतौर पर म्यूनिख 1972 या मुन्चेन 1972 ) के रूप में जाना जाता है , यह एक अंतरराष्ट्रीय बहु-खेल आयोजन था 26 अगस्त से 11 सितंबर 1972 तक म्यूनिख , पश्चिम जर्मनी में आयोजित किया गया ।
आइए नजर डालते हैं म्यूनिख नरसंहार पर
म्यूनिख नरसंहार पश्चिम जर्मनी के म्यूनिख में आयोजित 1972 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक के दौरान हुआ था जिसमे ग्यारह इज़राइल के ओलम्पिक टीम के सदस्यों को बंधक बना लिया गया और अंततः मार दिया गया था। साथ ही, एक जर्मन पुलिस अधिकारी को भी मारा गया था। यह आतंकवादी हमला फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह ब्लैक सितंबर ने किया था।
1972 म्यूनिख नरसंहार,
फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह ब्लैक सितंबर हमला शुरू होने के कुछ ही समय बाद, इन आतंकवादीयों ने इज़राइल की जेलों में बंद कैदियों को रिहा करने की मांग की और दो आतंकवादी जो जर्मनी में बंदी थे उन्हे भी रिहा करने की मांग की।
घटना
1972 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक का उद्घाटन समारोह 26 अगस्त को हुआ। 4 सितम्बर की शाम को इज़राइली खिलाड़ी फिडलर ऑन द रूफ की रिहर्सल के लिए गए और रात को ओलम्पियापार्क पहुचे जहॉं खिलाड़ीओं की रहने की सुवीधा थी। सुबह ४:३० बजे (स्थानीय समय, ५ सितम्बर) को फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन के गुट ब्लैक सितंबर के सदस्य एकेएम राइफल, टीटी पिस्तोल, हथगोले ले कर ज़ंजीर से बंधी बाड़ पार कर अन्दर आए।
माना जाता था कि इस में कुछ अमरिकी खिलाड़ीओं का उन्हे सहयोग मिला। २०१२ में खुलासा हुआ के सहयोग देनेवाले कनाडा के खिलाड़ी थे।
Duplicate चांबियों की मदद से आतंकवादियों ने अपार्टमेंट १ में प्रवेश किया। तब कुश्ती के रेफ़री योसेफ की निंद खुली और बंदूकों के साथ नकाबपोशों को देख उन्होने शोर मचाया, और पास रख १३५ किलो का वजन फेक कर माराने का असफल प्रयास किया। योसेफ के अन्य साथी उठ गए और कुश्ती प्रशिक्षक मोशे वेनबर्ग घुसपैठियों से लड़े, जिन्होंने उसे गाल में गोली मार दी और फिर उन्हे अन्य बंधकों को ढूंढने में मदद करने के लिए मजबूर किया। वेनबर्ग घुसपैठियों को अपार्टमेंट ३ की तरफ ले गए और झूठ बताया कि अपार्टमेंट २ में इज़राइली नहीं थे। अपार्टमेंट ३ में घुसपैठियों ने छह पहलवानों और भारोत्तोलकों को बन्दी बनाया। अपार्टमेंट १ में लौटते समय वेनबर्ग ने फिर से हमला किया जिस कारण एक पहलवान भाग कर अपनी जान बचाने में सफल हुआ । weight lifter योसेफ रोमानो एक आतंकवादी को घायल कर दिया किंतु दुर्भाग्यवश आतंकवादियों ने उन्हें गोली मार दी
अब बंदूकधारियों के पास नौ बंधक थे; योसेफ गुटफ़्रुंड, तेजतर्रार निशानेबाज़ी के प्रशिक्षक केहत शोर, खेल कूद के प्रशिक्षक अमीतजुर शपीरा, तलवारबाजी के खिलाडी आंद्रे स्पिट्जर, भारोत्तोलन के पंच याकोव स्प्रिंगर, पहलवान एलीज़र हाल्फिन और मार्क स्लेविन, और भारोत्तोलक डेविड बर्जर और जेव फ्राइडमैन।
असफल बचाव प्रयास
अलरिक मेन्होफ को रिहा करने की मांग हुई थी
आतंकवादीयों ने इज़राइल में बंदी २३४ कैदियों को जेल से रिहा करने की मांग की और लाल सेना गुट के संस्थापक एंड्रियास बादेर और अलरिके मेन्होफ जो जर्मनी में बंदी थे उन्हे भी रिहा करने की मांग की। कई जर्मन अधिकारियों ने आतंकवादीयों से बातचीत शुरू रखी जब की इज़राइल हमले की प्लानिंग कर रहा था किंतु जर्मनी ने इज़राइल को कमांडो ऑपरेशन करने की इजाजत नहीं दी। शाम ४:३० बजे म्यूनिख पुलिस पहुंची और "सनशाईन" का संकेत सुनने के लिए इंतजार करते रहे। उन्होने वेंटिलेशन शाफ्ट के माध्यम से इमारत में प्रवेश करने और आतंकवादियों पर हमला करने की योजना बनाई थी। पर तब तक जर्मन अपार्टमेंट में कई संवाददाताओं ने स्तिथी का प्रसारण शुरू किया था जिस कारण आतंकवादीयों को इस का पता चल गया।
आतंकवादीयों की मांग पर उन्हे एयर बेस तक ले जाने के लिए दो हेलीकॉप्टर लाए गए। वहाँ से वे हवाई जहाज में बैठ कर मिस्र जाने की योजना बना रहे थे। हवाई अड्डे पर जर्मन के कई फ़ौजीयो ने हमला बोला, पर अनुभवहीन कर्मियों, खराब रोशनी और अनुचित नियोजन के कारण आतंकवादीयों ने सारे बंधकोंको मार डाला। तीनों आतंकवादियों को छोड़कर अन्य सभी आतंकवादी भी मारे गए, और साथही एक जर्मन पुलिस अधिकारी भी मारा गया।
1972 म्यूनिख नरसंहार का इसराइल ने कैसे बदला लिया
6 सितम्बर को ओलम्पिक खेलों में मृत खिलाड़ियों को श्रद्धांजलि अर्पित हुई। कुश्ती प्रशिक्षक मोशे वेनबर्ग की बहन कारमेल एलियैश को तभी दिल का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गई। ओलम्पिक का ध्वज आधा झुका कर लहराया गया
म्यूनिख नरसंहार के 4 दिन के बाद
8 सितम्बर 1972 को इज़राइल ने फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन के सीरिया और लेबनान में स्थित दस अड्डों पर हवाई हमला कर तकरिबन २०० लोगोंको मार गिराया।
29 अक्टुबर 1972 को लुफ़्थान्सा उड़ान 615 का अपहरण कर लिया गया और परीणाम में तीन आतंकवादी जो पकडे गए थे जिन्हे म्यूनिख के कारागार में बंद किया था। ये आतंकवादी रिहा हो गए। इनमें से दो आतंकवादीयों को इज़राइल की खुफिया एजेन्सी मोसाद ने मार दिया; जो ऑपरेशन "रेथ ऑफ गाड" का हिस्सा था। इज़राइल की चौथी प्रधानमन्त्री गोल्डा मेयर ने इस ऑपरेशन को हरी झंडी दिखाई।