बार-बार स्टॉप लॉस हिट होने के नुकसान से कैसे बचे |
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के दौरान टॉप लॉस का बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य होता है जितने भी प्रोफेशनल ट्रेडर है वह स्टॉप लॉस लगाकर की ट्रेडिंग करते
स्टॉप लॉस मार्केट में अचानक से होने वाली भारी गिरावट के नुकसान से बचाता है इसलिए यदि आप स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करते हैं तो स्टॉप लॉस लगाने की अहमियत को समझे
शेयर मार्केट में स्टॉप लॉस क्या है स्टॉप लॉस किसे कहते हैं
जब आप कोई भी शेयर खरीदने हैं और उसे हाई रेट पर बेचने के लिए टारगेट प्राइस सेट करते हैं लेकिन मार्केट आपके मुताबिक नहीं चलने वाली उदाहरण के तौर पर अपने ₹100 पर कोई शेयर खरीदा और आपका अनुमान है कि यह 105 रुपए तक जाएगा और मैं ₹5 का प्रॉफिट बुक कर लूंगा शेयर 105 रुपए में सेल करने का आर्डर लगा दिया किंतु यह कोई जरूरी नहीं है कि शेयर 105 रुपए में जाए यहां से शेयर ₹100 से 95 रुपए में भी आ सकता है और अगर गिरावट बड़ी तो यह शेयर ₹90 से भी नीचे पहुंच सकता है यदि यह शेयर ₹90 में पहुंच गया तो बायर को बहुत ज्यादा नुकसान हो जाएगा इसलिए स्टॉप लॉस आर्डर का प्रयोग करते हैं और स्टॉप लॉस के लिए प्राइस अपने रिस्क के हिसाब से 95 रुपए या रु 96 सेट कर देते हैं यदि मार्केट में मार्केट में गिरावट बड़ी और शेयर पर दबाव आया तो वह शेयर आपके सेट प्राइस पर ही सेल हो जाएगा और भारी नुकसान होने से आप बच जाएंगे इसीलिए स्टॉप लॉस लगाया जाता है
अक्सर देखा गया है कि ट्रेडर छोटे-छोटे स्टॉपलॉस लगाते हैं और वह बार-बार हिट हो जाते हैं जिससे उन्हें नुकसान हो जाता है उदाहरण के तौर पर कोई शेयर ₹100 के शेयर पर ₹98 का स्टॉपलॉस अधिकतर लोग लगाते हैं जिसके कारण शेयर जैसे ही रूपए 99 या ₹98 के आसपास शेयर आया तो वह सेल हो जाता है और ₹98 पर सेल होने के बाद यह शेयर ₹102 के आसपास दोबारा पहुंच जाता है
टारगेट तक पहुंचने से पहले स्टॉप लास्ट हिट हो जाने से बार-बार नुकसान उठाना पड़ता है
यदि बार बार स्टॉप लॉस हिट हो रहा है तो आजमाएं ये तरीके
काफी छोटा stop-loss ना लगाएं
स्टॉप लॉस अपडेट करते रहे
टारगेट प्राइस से ज्यादा स्टॉपलॉस ना लगे
उदाहरण के तौर पर यदि आपने ₹100 की किसी शेयर पर ₹105 का टारगेट प्राइस लगाया है तो उसका स्टॉपलॉस ₹95 से अधिक ना लगाएं