कृषि सुधार कानून को लेकर झूठी खबरों पर विराम लगाते हुए बीजेपी ने आज अपनी नीति स्पष्ट कर दी है कृषि सुधार कानून के दुष्प्रचार को लेकर कृषि मंत्री ने किसानों के नाम जारी एक पत्र में नए कृषि बिल के बारे में क्या झूठ है और क्या सच है इस बात की जानकारी दी पिछले कई हफ्तों से किसान आंदोलन के चलते देश में राजनीतिक माहौल गर्म है पक्ष विपक्ष कृषि सुधार कानून को लेकर आमने-सामने है नए कृषि बिल का विरोध कर रही कांग्रेस पार्टी आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी और भी विपक्षी दल कृषि बिल वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में है
BJP ने इन काले कानूनों के क्रूर प्रहार से पहली भी देश के किसानों पर वार किया हो।
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) December 18, 2020
आज देश को ये जानना आवश्यक है!
पेहला वार-
2 जून 2014 को मोदी सरकार ने सारे राज्यों को पत्र लिख फरमान जारी किया कि यदि किसानों को फसल पर बोनस देंगे तो FCI फसल की खरीद उन राज्यों से नही करेगी।
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बीजेपी के वरिष्ठ नेता गण और प्रधानमंत्री किसानों को नए कृषि बिल से होने वाले लाभ का वर्णन कर रहे हैं प्रधानमंत्री जी ने ट्वीट करके किसानों को संबोधित करते हुए कहा है कि कृषि बिल को लेकर झूठा प्रचार किया जा रहा है नए कृषि सुधार कानून को लागू होने के बाद देश में एक भी मंडी बंद नहीं हुई है.
जानिए नए कृषि सुधार कानून में क्या सच है और क्या झूठ है
किसान आंदोलन के चलते बीजेपी देश के किसानों को इस समय यह बताने का प्रयास कर रही है कि नए कृषि बिल से उन्हें किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होने वाला है वहीं विपक्षी दल कृषि बिल से किसानों को नुकसान होगा इस बात की दलील दे रहे हैं इसलिए कृषि बिल वापस लेने की मांग कर रहे किसानों के समर्थन में हैं
विपक्षी पार्टियों का कहना है कि नए कृषि सुधार कानून में एमएसपी की व्यवस्था खत्म हो रही है और एपीएमसी मंडिया बंद हो जाएंगी
जबकि बीजेपी का कहना है कि नए कृषि सुधार कानून को लागू हुए 6 महीना हो गए हैं किंतु आज तक देश की कोई भी मंडी बंद नहीं हुई है नए कृषि बिल को लेकर दुष्प्रचार किया जा रहा है
विपक्ष का कहना है कि नए कृषि बिल में किसानों की जमीन खतरे में है
इस पर सरकार का कहना है कि एग्रीमेंट फसलों के लिए होगा ना कि जमीन के लिए सेल लीज और गिरवी समेत जमीन के किसी भी प्रकार के हस्तांतरण का करार नहीं होगा
विपक्षी पार्टियों का कहना है नए कृषि के जरिए किसानों पर किसी भी प्रकार के बकाए के बदले कॉन्टैक्टर जमीन हथिया सकते हैं
इस बात को लेकर सरकार ने यह साफ किया है कि परिस्थिति चाहे जो भी हो किसानों की जमीन सुरक्षित रहेगी
विरोध कर रहे विपक्षी पार्टियों का कहना है कि नए कृषि सुधार कानून को लेकर कोई सलाह मशविरा या चर्चा नहीं की गई
विपक्षी पार्टियों के आरोपों का खंडन करते हुए केंद्र सरकार ने यह कहा है कि 2 दशकों तक इस कानून को लेकर विचार-विमर्श हुआ साल 2000 में शंकरलाल गुरु कमेटी से इसकी शुरुआत हुई उसके बाद 2003 में मॉडल एपीएमसी एक्ट 2007 के एपीएमसी रूल्स 2010 में हरियाणा पंजाब बिहार पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों की सहमति व 2013 में 10 राज्यों के कृषि मंत्री की संस्कृति 2017 का मॉडल APLM एक्ट और आखिरकार 2020 में संसद द्वारा इस कानून को मंजूरी दी गई
जानिए नए कृषि सुधार कानून में क्या सच है और क्या झूठ है
इस संबंध में कृषि मंत्री ने एक ट्वीट करके किसानों को इस बात की जानकारी देने का प्रयास किया है उन्होंने अपने ट्वीट के माध्यम से नए कृषि बिल में क्या सच है और कौन सी झूठी खबरें फैलाई जा रही है नए कृषि सुधार कानून में किसानों को किस प्रकार फायदा पहुंचेगा इन सब बातों का जिक्र किया हैकृषि सुधार कानूनों को लेकर किए जा रहे दुष्प्रचार से बचें...
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) December 18, 2020
मोदी सरकार कंधे से कंधा मिलाकर हर कदम पर किसानों के साथ खड़ी है।#ModiWithFarmers pic.twitter.com/1LRJL3Wge0
कृषि सुधारों से जुड़ा एक और झूठ फैलाया जा रहा है- APMC यानि हमारी मंडियों को लेकर।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 18, 2020
किसान पहले चाहकर भी अपनी फसल मंडी के अलावा कहीं और नहीं बेच सकता था।
नए कानून के मुताबिक किसान चाहे मंडी में बेचे या फिर बाहर, यह उसकी मर्जी होगी। pic.twitter.com/nk9zUSXGp0
किसान आंदोलन के चलते बीजेपी देश के किसानों को इस समय यह बताने का प्रयास कर रही है कि नए कृषि बिल से उन्हें किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होने वाला है वहीं विपक्षी दल कृषि बिल से किसानों को नुकसान होगा इस बात की दलील दे रहे हैं इसलिए कृषि बिल वापस लेने की मांग कर रहे किसानों के समर्थन में हैं
विपक्षी पार्टियों का कहना है कि नए कृषि सुधार कानून में एमएसपी की व्यवस्था खत्म हो रही है और एपीएमसी मंडिया बंद हो जाएंगी
जबकि बीजेपी का कहना है कि नए कृषि सुधार कानून को लागू हुए 6 महीना हो गए हैं किंतु आज तक देश की कोई भी मंडी बंद नहीं हुई है नए कृषि बिल को लेकर दुष्प्रचार किया जा रहा है
विपक्ष का कहना है कि नए कृषि बिल में किसानों की जमीन खतरे में है
इस पर सरकार का कहना है कि एग्रीमेंट फसलों के लिए होगा ना कि जमीन के लिए सेल लीज और गिरवी समेत जमीन के किसी भी प्रकार के हस्तांतरण का करार नहीं होगा
विपक्षी पार्टियों का कहना है नए कृषि के जरिए किसानों पर किसी भी प्रकार के बकाए के बदले कॉन्टैक्टर जमीन हथिया सकते हैं
इस बात को लेकर सरकार ने यह साफ किया है कि परिस्थिति चाहे जो भी हो किसानों की जमीन सुरक्षित रहेगी
विरोध कर रहे विपक्षी पार्टियों का कहना है कि नए कृषि सुधार कानून को लेकर कोई सलाह मशविरा या चर्चा नहीं की गई
विपक्षी पार्टियों के आरोपों का खंडन करते हुए केंद्र सरकार ने यह कहा है कि 2 दशकों तक इस कानून को लेकर विचार-विमर्श हुआ साल 2000 में शंकरलाल गुरु कमेटी से इसकी शुरुआत हुई उसके बाद 2003 में मॉडल एपीएमसी एक्ट 2007 के एपीएमसी रूल्स 2010 में हरियाणा पंजाब बिहार पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों की सहमति व 2013 में 10 राज्यों के कृषि मंत्री की संस्कृति 2017 का मॉडल APLM एक्ट और आखिरकार 2020 में संसद द्वारा इस कानून को मंजूरी दी गई