वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने भी यह साफ कर दिया है कि उनके दाम घटाने का कोई भी इरादा नहीं है।
हालांकि इसके लिए उन्होंने पिछली सरकार के जारी किए गए ऑयल बॉन्ड को जिम्मेदार ठहराया है। आज तक और एबीपी न्यूज़ चैनलों का कहना है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज इन दोनों को ही मुद्दा बना लिया है। उनका कहना है कि बीजेपी सरकार जिन जीडीपी ग्रोथ की बात कर रही है वह जीडीपी दरअसल डीजल पेट्रोल और गैस के दामों में आ रही बढ़त ही है G से गैस पी से पेट्रोल D से डीजल उन्होंने जीडीपी का नया ब्रेकअप कर दिया है गैस, पेट्रोल और डीजल इससे तो हम और आप राजनीतिक नारेबाजी मान सकते हैं।
लेकिन यह बात तो कांग्रेसी ही नहीं तमाम अर्थशास्त्री और बाजार की मामूली सी भी समझ रखने वाले लोग भी पूछ रहे हैं। कि सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों पर ड्यूटी क्यों इतनी आसमान पर चढ़ा दी है कि आम आदमी का तेल निकल रहा है निर्मला सीतारमण जी का तर्क भी खास दमदार नहीं है।
पिछले 7 वर्षो से एनडीए सरकार पेट्रोलियम पदार्थों पर एक्साइज ड्यूटी से ही 15 लाख करोड़ रुपए से ऊपर रकम जुटा चुकी है
बीते वित्त वर्ष में भी 1 लाख 60 हजार करोड़ रूपया आया है इसी मत से और ऑयल बॉन्ड की जो कुल रकम है वह इस रकम का दसवां हिस्सा भी नहीं है और खास बात यह है कि सरकार ने इन बॉन्ड्स का मूलधन चुकाने मैं कोई खर्च भी नहीं किया सरकार ने पिछले साल पिछले वित्त वर्ष में ऑयल बॉन्ड के ब्याज में 9990 करोड़ रुपए चुकाए हैं। (उपयुक्त आंकड़े अनुमानित है)
देशभर में जितनी भी डीजल और पेट्रोल की बिक्री होती है अगर उस पर हिसाब लगाएं और इस बांड की हिस्सेदारी जोड़ें तो वह फिर एक रुपए लीटर के ही आसपास आती है जो पेट्रोल ₹60 से ₹100 में पहुंच गया है उसमें अगर 1 रुपए ऑयल बॉन्ड का है तो बाकी के किसके है इसका भी तो जवाब किसी को देना चाहिए। और जो सरकार इस बांड पर इतना हल्ला मचा रही है वह भी इन्हें चुकाने के बजाय आगे के लिए लटका कर क्यों रख रही हैं यह सवाल अलग से खड़ा है अगर वह चाहते तो इस पैसे में से 10वां हिस्सा खर्च करके वह सारा ऑयल बॉन्ड चुका देते और उसके बाद उस पर ब्याज की देनदारी भी खत्म हो गई होती।
मगर फिलहाल आम आदमी हम और आप जैसे लोगों की सबसे बड़ी फिक्र तो यही है अगर इन सभी चीजों का दाम नहीं घटे तो बाकी चीजों की महंगाई काबू में आने का सपना कैसे पूरा हो पाएगा डीजल और पेट्रोल का दाम खासतौर पर महंगाई बढ़ाने की भूमिका निभाता गैस का दाम मान सकते हैं जो हमारे और आपके लिए बड़ रहा है। होटल और रेस्टोरेंट के लिए भी समान है खाद्य पदार्थों की रेट में इजाफा होगा।
मारुति उद्योग भारत की सबसे बड़ी कार कंपनी है उसने अभी तीसरी बार दाम बढ़ाने का ऐलान किया है वजह उसने बताई है "इनपुट कॉस्ट में बढ़ोतरी"इसका मतलब जो सामान कंपनी कार बनाने के लिए खरीदती है वह महंगा हो गया है इसीलिए कंपनी भी अपने कारों के दाम बढ़ा रही हैं
ऐसे ही कई उद्योगों के दाम इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि उनकी इनपुट कॉस्ट में इजाफा हो रहा है इनमें हर एक छोटी बड़ी चीज शामिल है जिन पर हम और आप सभी ध्यान नहीं देते हैं।