सरकार दसवीं बोर्ड की परीक्षाओं को फिर से शुरू करने के मूड में है. देश की सबसे बड़ी परीक्षा कराने वाली संस्था सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (CBSE) को इसके बाबत सूचित किया गया है.
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर 25 अक्टूबर को इसकी आधिकारिक घोषणा करेंगे. मंत्री बनने के बाद से यह उनकी पहली बड़ी घोषणा है. दसवीं बोर्ड की परीक्षाएं साल 2018 से शुरू होनी संभावित हैं.
मानव संसाधन और विकास मंत्री जी ने यह भी कहा कि
वे इसके अलावा पांचवीं तक के स्टूडेंट्स के लिए 'नो डिटेंशन' पॉलिसी भी घोषित करेंगे. राज्य इसे अपने सुविधानुसार आठवीं कक्षा तक लागू कर सकेंगे. हालांकि उन्हें इस बीच फेल होने वाले स्टूडेंट्स को अगली क्लास में प्रमोट करने के लिए दोबारा परीक्षाएं करानी होंगी. गौरतलब है कि साल 2010 में बोर्ड परीक्षाओं को खत्म कर साल भर के आधार पर ग्रेडिंग की सुविधा शुरू की गई थी. इसके पीछे तर्क था कि ग्रेडिंग सिस्टम स्टूडेंट्स पर दबाव कम करेगा.
मानव संसाधन और विकास मंत्री जी ने यह भी कहा कि
वे इसके अलावा पांचवीं तक के स्टूडेंट्स के लिए 'नो डिटेंशन' पॉलिसी भी घोषित करेंगे. राज्य इसे अपने सुविधानुसार आठवीं कक्षा तक लागू कर सकेंगे. हालांकि उन्हें इस बीच फेल होने वाले स्टूडेंट्स को अगली क्लास में प्रमोट करने के लिए दोबारा परीक्षाएं करानी होंगी. गौरतलब है कि साल 2010 में बोर्ड परीक्षाओं को खत्म कर साल भर के आधार पर ग्रेडिंग की सुविधा शुरू की गई थी. इसके पीछे तर्क था कि ग्रेडिंग सिस्टम स्टूडेंट्स पर दबाव कम करेगा.
इन बोर्ड परीक्षाओं की शुरुआत के पीछे राज्य और बच्चों के माता-पिता की ओर से आने वाली प्रतिक्रियाएं थीं. वे कहते हैं कि इन बोर्ड परीक्षाओं के नहीं कराए जाने की वजह से पढ़ाई का स्तर गिरा है. हालांकि इस दौरान की गई रिसर्च की मानें तो नतीजे ड्रॉप आउट कम होने की ओर इशारा करते हैं.
परीक्षाओं के पक्ष में वकालत करने वाले इसे आगे की बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं. छात्रों को न रोकने की पॉलिसी ने शिक्षकों के अधिकारों में भी कटौती की है. इस बीच ग्यारहवीं क्लास में कई स्टूडेंट्स फेल हुए तो दसवीं बोर्ड परीक्षाओं की मांग और भी तेजी से उठने लगी.
मानव संसाधन मंत्रालय अपने इस कदम को शिक्षा के क्षेत्र में दिवाली का उपहार कह रही है. वे अलग-अलग राज्यों के शिक्षा मंत्रियों और सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड ऑफ एजुकेशन (CABE) के साथ होने वाली बैठकों के बाद वे अंतिम घोषणा करेंगे. साथ ही वे कहते हैं कि सरकार और बोर्ड के इस कदम से अपेक्षित परीणाम नहीं मिले हैं.
ड्रॉपआउट रोकने के लिए NCERT नहीं है साथ
आज भले ही 'नो डिटेंशन' का फॉर्मूला उलझा हुआ लगता हो, मगर यह राज्य का मामला है कि वे क्लास पांच, छह, सात और आठ में फेल होने वाले स्टूडेंट्स को फिर से उसी क्लास में रोकना चाहते हैं. हालांकि 'दुबारा परीक्षा' को वे अनिवार्य बनाएंगे. वही एनसीईआरटी (NCERT) भी 'नो डिटेंशन' के हटाए जाने के खिलाफ है.
दसवीं क्लास की बोर्ड परीक्षाओं की फिर से बहाली में विधायिका का दखल नहीं चाहिए, तो फेल होने पर स्टूडेंट्स को रोक लेने की प्रक्रिया लागू करने के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम के सेक्शन 16 में बदलाव करने होंगे.
ड्रॉपआउट रोकने के लिए NCERT नहीं है साथ
आज भले ही 'नो डिटेंशन' का फॉर्मूला उलझा हुआ लगता हो, मगर यह राज्य का मामला है कि वे क्लास पांच, छह, सात और आठ में फेल होने वाले स्टूडेंट्स को फिर से उसी क्लास में रोकना चाहते हैं. हालांकि 'दुबारा परीक्षा' को वे अनिवार्य बनाएंगे. वही एनसीईआरटी (NCERT) भी 'नो डिटेंशन' के हटाए जाने के खिलाफ है.
दसवीं क्लास की बोर्ड परीक्षाओं की फिर से बहाली में विधायिका का दखल नहीं चाहिए, तो फेल होने पर स्टूडेंट्स को रोक लेने की प्रक्रिया लागू करने के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम के सेक्शन 16 में बदलाव करने होंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने भी 'नो डिटेंशन' मुद्दे पर सहमति जतायी है. गैर सहायता प्राप्त राजस्थानी प्राइवेट स्कूल बरक्स यूनियन ऑफ इंडिया के केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि क्लासेस से निकालना और स्टूडेंट्स को फिर से रोकना ड्रॉपआउट दर को बढ़ाएगा और इस मुहिम को धक्का पहुंचेगा. 10वीं क्लास की बोर्ड परीक्षा की बहाली का स्तर मजबूत होगा.